स्वप्न : साहित्य प्रेम का बीज
कल रात,
हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञानं मे डिक्टेशन थी आयी
जिला अल्मोड़ा मे मैंने प्रथम श्रेणी थी पायी
जगह जगह से लोग आये थे देने मुझे बधाई
प्रफुल्लित था, गौरवान्वित था, इतने मे मम्मी आयी
सोते हुए मुस्कुराते देखा वो भी फुले न समाई
सुबह स्वप्न देखा पुत्र ने , ये घडी है कुछ लाई!!
अनभिज्ञ मन मे जानने की शीघ्र जिज्ञासा आयी
नींद खुली इतने मे मेरी दुःख की बदली छाई
घडी मे देखा बजे थे ढाई
शुरू की मैंने पढाई
मेहनत गर्भ से जन्मेगी सफलता,वरना क्या कर लेंगे साँई
आऊंगा का मे प्रथम जीवन मे, मेरे संस्कारो की कमाई
सब कृपा है पाई और यही अब मेरी आशा है…!!!!
क्षमा करें मेरी पंक्तियों मे खिचड़ी भाषा है ….