स्वप्नलोक
महज स्वपनलोक की सैर से उत्पन्न कविता
सदियों से एक सपना है…
कहो पूरा करोगे तुम ?
भूल जाओ मेरे सिवा सब कुछ ….
कहो ऐसा करोगे तुम…?
नही कुछ और तमन्ना,के बस मेरे हो जाओ तुम
कभी ना छोड़ के जाओगे….
कहो ऐसा करोगे तुम….?
फकत एक लफ्ज सुनने को,कई बरसों से तरसी हूँ
मुझे अपना बना लो…..
कहो ऐसा करोगे तुम…?