स्वतंत्रता की कहानी
एक था माली ।
लगा रखी थी जिसने फूलों की डाली।।
हर तरफ रंग-बिरंगे फूल और ढेर सारी हरियाली ।
थे लगे कहीं प्रेम के फूल और थी लगी कहीं शान्ति के फूल।।
उपवन सारा महक रहा था रंग- बिरंगे फूलों से ।
गुँजायमान था वह उपवन भाईचारा के भँवरों से।।
रंग-बिरंगे उपवन को देखकर माली भी मन में मुस्काया।
सोचकर मन में यों इठलाया—-
वाह क्या फूल हैं ऐसे फूल भला कब हैं दिखते।
इतने में ही छा गया घना अँधेरा ।।
साथ ही शुरु हो गयी वर्षा मूसलाधार ।
सारा उपवन नष्ट हो गया ।
माली भी बेचारा साथ में बह गया ।।
मित्रों …..यही थी……..स्वतन्त्रा की कहानी ।
।ये वर्षा और कोई न था……
था यही अँगरेज।।
और माली कोई न था ।
था अपना भारत देश।।
******”””””ek prayashrath””””******”