स्वतंत्रता का संघर्ष
भारत माता चीख रही थी,
चिला चिल्लाकर पुकार रही थी,
गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी,
अपने पुत्रों को पुकार रही थी।
बेटों ने भी संघर्ष किया,
एक के बाद एक विद्रोह किया,
पर मेहनत रंग न लाई,
सफलता हाथ न आई।
फिर से अंग्रेजों ने कहर ढाया,
सबका जीवन बर्बाद किया,
त्रासदी की सीमा पार हुई,
सब मानवता को तरस गए।
जब सारी सीमा पार हुई,
तब वीरों ने हुंकार भरा,
सब जातिबंधन भूल के,
अंग्रेजों पर आक्रमण किया।
भारतीय शक्ति की एकजुटता,
अंग्रेजी सरकार न सहन कर पाई,
सारा दंभ चकनाचूर हुआ,
तब जाकर भारत आजाद हुआ।