स्वच्छ भारत
स्वच्छ भारत , स्वच्छ भारत
देखो आया स्वच्छ भारत ।
सलवार कमीज पर जूता पहना
लिया दुपट्टा जालीदार ।
झूम झूम कर चलता आगे
पीछे है उसका परिवार ।।
किस नगर तक जायेगा ?
यह बात अभी गोपनीय है ।
कहाँ से लाया ऐसा लिबास ?
यह भी बात शोचनीय है ।।
अपने कद से लम्बा झाड़ू
लिया है अपने हाँथ में ।
कितना उमंग ! कितना तेज !
दिखता इसके बात में ।।
उछल उछल कर चलता
कहता नहीं रुकने वाला हूँ ।
खोलो अपने घर का द्वार
झाड़ू पोछा करने आया हूँ।।
कोई तो समझाये उसको
स्मार्ट सिटी से बाहर निकले,
देखे गाँव की गालियां ।
कूड़ा कचरा चुनती जँहा
मासूमों की मासूम अंगुलियाँ ।।
आग लगी छुधा में ,
तुम साबुन-पानी देते हो।
बदन साफ कर क्या होगा ?
जब जीने ही नहीं देते हो ।।
सड़क साफ कर क्या होगा !
चितसड़क ही जब गंदा है
उसको चश्मे से क्या फायदा
जन्म से ही जो अंधा है !
सुनो ध्यान से स्वच्छ भारत ,
जिसके लहू से बनी तेरी इमारत ।
उसको रोटी देकर जाना
प्रेम का बीज बो कर जाना
अमर हो जाओ, स्वच्छ भारत ।
अमर रहो तुम स्वच्छ भारत ।।