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2 Jan 2025 · 1 min read

स्रग्विणी वर्णिक छंद , विधान सउदाहरण

“स्रग्विणी वर्णिक छंद”{बीस मात्रा)
#मापनी:२१२-२१२-२१२-२१२

भक्ति की शक्ति से , ईश को जानिए |
प्रेम की भावना , श्रेष्ठ ही मानिए ||

धर्म की राह हो , कर्म शालीनता |
जान लो है नहीं , पास में हीनता ||

आहटें आ रही , देश को देखिए |
कौन क्या सोचता , आज ही लेखिए ||

घात जो दे रहे , मित्रता वेश से |
दूर ही कीजिए , शत्रु को देश से ||

चाहतें जो रखे , देश की आन से |
लोग है मानते , चाहते शान से ||

देश में भान है , प्रेम की ‌ नूरता |
जानता विश्व ये , पास है शूरता ||

आधार छंद -वास्रग्विणी छंद 20 मात्रा ,
(मापनी युक्त मात्रिक )
गीतिका मापनी- २१२×४
समांत – आतीं ,पदांत – रहीं
हम इशारे करें तुम हटातीं रहीं |
देख के भी मुझे सिर हिलातीं रहीं |

आहटें भी नहीं कुछ जरा सी सुनी ,
दिलजलों के सुरों को सजातीं रहीं |

देखता मैं वहाँ चाहतें सब रुकीं ,
आरजू भी सभी तुम दबातीं रहीं |

कौन है जो चले इश्क की राह पर ,
सोचकर तुम सदा दिल छिपातीं रहीं |

सोचना भी तुम्हारा रहा कौन हम
हम सजाते रहे तुम मिटातीं रहीं |

समझना भी नहीं चाहतीं तुम जरा ,
दिलजला बोलके गीत गाती रहीं |

बोल मेरे सुभाषा नहीं सोचना ,
हम उठाते रहे तुम गिरातीं रहीं |

सुभाष सिंघई

Language: Hindi
24 Views

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