स्रग्विणी वर्णिक छंद , विधान सउदाहरण
“स्रग्विणी वर्णिक छंद”{बीस मात्रा)
#मापनी:२१२-२१२-२१२-२१२
भक्ति की शक्ति से , ईश को जानिए |
प्रेम की भावना , श्रेष्ठ ही मानिए ||
धर्म की राह हो , कर्म शालीनता |
जान लो है नहीं , पास में हीनता ||
आहटें आ रही , देश को देखिए |
कौन क्या सोचता , आज ही लेखिए ||
घात जो दे रहे , मित्रता वेश से |
दूर ही कीजिए , शत्रु को देश से ||
चाहतें जो रखे , देश की आन से |
लोग है मानते , चाहते शान से ||
देश में भान है , प्रेम की नूरता |
जानता विश्व ये , पास है शूरता ||
आधार छंद -वास्रग्विणी छंद 20 मात्रा ,
(मापनी युक्त मात्रिक )
गीतिका मापनी- २१२×४
समांत – आतीं ,पदांत – रहीं
हम इशारे करें तुम हटातीं रहीं |
देख के भी मुझे सिर हिलातीं रहीं |
आहटें भी नहीं कुछ जरा सी सुनी ,
दिलजलों के सुरों को सजातीं रहीं |
देखता मैं वहाँ चाहतें सब रुकीं ,
आरजू भी सभी तुम दबातीं रहीं |
कौन है जो चले इश्क की राह पर ,
सोचकर तुम सदा दिल छिपातीं रहीं |
सोचना भी तुम्हारा रहा कौन हम
हम सजाते रहे तुम मिटातीं रहीं |
समझना भी नहीं चाहतीं तुम जरा ,
दिलजला बोलके गीत गाती रहीं |
बोल मेरे सुभाषा नहीं सोचना ,
हम उठाते रहे तुम गिरातीं रहीं |
सुभाष सिंघई