स्मृतियाँ
स्मृतियाँ
स्मृतियाँ जब कभी मस्तिष्क को
अपने पाश में लेती ,
सद्यः हमें वर्तमान से
भूतकाल में ले जातीं।
बीते हुए उन क्षणों को
हम पुनः जी लेते ।
क्षणों की अनुभूति से
कभी हँसते, कभी रोते ।
एकाकीपन में इनका साथ
जीवन को देता सम्बल ।
अतीत की घटनाओं का अनुभव
सामयिक विपत्तियो का हल।
दुःखद स्मृतियों हृदय विदीर्ण कर
नेत्रों में अश्रु भर देती ।
सुखद स्मृतियाँ हृदय को
पुनः आनन्द विभोर करती ।
– डॉ० उपासना पाण्डेय