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24 Jan 2024 · 1 min read

स्मृतियाँ

स्मृतियाँ
अतीत का
चलचित्र बन
मानसपट पर
उभरती हैं,
कौंधती हैं
दामिनी सी।
कभी सुभग,
कभी मर्मघाती,
तानाबाना
बुनता है
उथला सिंधु सा
अनुस्मरण।
मनुज
प्लवक बन
जलचर-सा
परिपल्व करता है,
सँवर की
प्रकृत
थाह लेने
और
मिथक से
जूझने का।

Language: Hindi
129 Views

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