” स्मरणीय “
” स्मरणीय ”
जो सफर अख्तियार करते हैं
वो मंजिलों को पार करते हैं,
बस चलने का हौसला तो रखिए
ऐसे मुसाफिरों का
रास्ते भी इन्तजार करते हैं।
” स्मरणीय ”
जो सफर अख्तियार करते हैं
वो मंजिलों को पार करते हैं,
बस चलने का हौसला तो रखिए
ऐसे मुसाफिरों का
रास्ते भी इन्तजार करते हैं।