#कुंडलिया//अपनापन
सिंचित अपनापन करो , रहता दूर विषाद।
फूलों से गुलशन खिले , हृदय प्रेम से शाद।।
हृदय प्रेम से शाद , बने है घर रिश्तों से।
ऊर्जा मिलती ख़ूब , दूध मेवे पिस्तों से।
सुन प्रीतम की बात , चीज़ अच्छी हो शोभित।
लो दो मस्ती प्रेम , करो हर जीवन सिंचित।
#आर.एस. ‘प्रीतम’