Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 May 2024 · 1 min read

स्नेह का बंधन

पन्नों को पलट कर क्या जान पाओगे
अपने भीतर देखो वही भाव पाओगे
मेरे स्नेह का साकार रूप तुम हो
इसका प्रति उत्तर कैसे दे पाओगे
चाहो तुम कुछ भी उससे क्या होता
अपनेपन के एहसास को हमेशा करीब पाओगे
शरीर साथ ना दे सका तो क्या
अपनी आंखों को जब भी बंद करोगे
मुझे अपने सामने ही पाओगे
बंधन स्नेह का क्या होता
जब भी सोचोगे मेरा ही नाम दोहराओगे।

Language: Hindi
89 Views
Books from Dr.Priya Soni Khare
View all

You may also like these posts

4015.💐 *पूर्णिका* 💐
4015.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
धर्म आज भी है लोगों के हृदय में
धर्म आज भी है लोगों के हृदय में
Sonam Puneet Dubey
आइए मेरे हृदय में
आइए मेरे हृदय में
indu parashar
मुकेश हुए सम्मानित
मुकेश हुए सम्मानित
Mukesh Kumar Rishi Verma
मानव धर्म प्रकाश
मानव धर्म प्रकाश
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
चुनावी त्यौहार
चुनावी त्यौहार
Ahtesham Ahmad
निःशब्दता हीं, जीवन का सार होता है......
निःशब्दता हीं, जीवन का सार होता है......
Manisha Manjari
फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन
sushil yadav
खुन लिए
खुन लिए
Kunal Kanth
Good
Good
*प्रणय*
"" *मन तो मन है* ""
सुनीलानंद महंत
नैनों की मधुरशाला में खो गया मैं,
नैनों की मधुरशाला में खो गया मैं,
Shambhavi Johri
" किरदार "
Dr. Kishan tandon kranti
कविता की कथा
कविता की कथा
Arun Prasad
राजस्थानी भाषा में
राजस्थानी भाषा में
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
तुम कहो कोई प्रेम कविता
तुम कहो कोई प्रेम कविता
Surinder blackpen
तपन
तपन
Vivek Pandey
*निरोध (पंचचामर छंद)*
*निरोध (पंचचामर छंद)*
Rituraj shivem verma
गजानन तुमको करूॅं नमन
गजानन तुमको करूॅं नमन
श्रीकृष्ण शुक्ल
एक सच
एक सच
Neeraj Agarwal
क्रोध...
क्रोध...
ओंकार मिश्र
आग और पानी 🔥🌳
आग और पानी 🔥🌳
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
माँ।
माँ।
Dr Archana Gupta
रिश्ता चाहे जो भी हो,
रिश्ता चाहे जो भी हो,
शेखर सिंह
स्वागत बा श्री मान
स्वागत बा श्री मान
आकाश महेशपुरी
जग जननी है जीवनदायनी
जग जननी है जीवनदायनी
Buddha Prakash
हर मौहब्बत का एहसास तुझसे है।
हर मौहब्बत का एहसास तुझसे है।
Phool gufran
मुक्तक काव्य
मुक्तक काव्य
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
वक्त वक्त की बात है ,
वक्त वक्त की बात है ,
Yogendra Chaturwedi
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
Ravikesh Jha
Loading...