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9 May 2024 · 1 min read

स्त्री

आदि की अर्ध
अनादि की अर्थ
ब्रह्म ki चेतना
भ्रम की वेदना
सकल माया उस की परिधि
सकल त्याग उस का सहवास
शून्य की उपमा
जीवन की आस
वो जननी है :
वो जनती है
आस ,स्वास और श्रृंगार
वो श्रृंगार की जननी
सृजन करती प्रेम का
पायल हैं किलकारियां
चूड़ियां हैं अठखेलियां
नथ उस का अल्हड़पन
काजल उस का वेग
नयनों की ओट में संभलता
उसी के इशारों पर बिखरता
सृजन का संयम !
श्रृंगार की पराकाष्ठा !
फिर भी बस ठहराव
शायद ब्रह्मांड का ॐ !
स्त्री !

Language: Hindi
18 Views
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