स्त्री
यश तेज ज्ञान साहस कर्मठता यश प्रसिद्धि
संपन्नता ममता तेज विनम्रता रिद्धि व सिद्धि
पथ प्रशस्त हो निष्कंटक निर्बाध प्रकाश को
छू लो तुम अपने हाथों से नीले आकाश को
क्यों बनती निर्बल कोमल मोहिनी चंचला
तुम्हारे वश में ममत्व जीवन देने की कला
अस्तित्व तुम्हारा क्यों करें स्वीकार अबल
जब तुममें है झांसी रानी की झंकार प्रबल
छीन लो सब अधिकार धरा पर नारी उठो
निज यत्नो से समय की हुई सब तैयारी उठो
उठो कि जग को तुम्ही दिशा देने वाली हो
तुम्ही होलिका दुर्गा ज्वाला माता काली हो
चलो कि नव प्रभात आलिंगन करने को है
सब सृष्टि तुममें अपना सब कुछ भरने को है
अजय मिश्र