स्त्री ने ही जन्म दिया…..
स्त्री ने ही जन्म दिया
स्त्री ने ही पालन पोषण किया
स्त्री ने ही दिया प्यार
सहकर तिरस्कार जीवन भर
हर मोड़ पर निभाया साथ
फिर भी होते रहे अत्याचार
क्यों नही है वो सम्मान की हकदार………
स्त्री है त्याग की असल परिभाषा
ममता दया करुणा उसमे समाता
बिना मोल भाव के रिश्ते निभाए
सब पर जी भरकर प्यार लुटाए
बदले मे फिर क्यों न वो सम्मान पाये………..
नारी के हैं रुप अनेक
जिये वो बखूबी से हर एक
बेटी बनकर जन्म लिया
बहन बनकर प्यार दिया
माँ बनकर कर्म किया
बदले मे हमने उसको क्या दिया
क्यों नही उसका सम्मान किया…………….
पुरुष प्रधान का लगा के तमगा
कौन सा बजा लिया हमने डंका
बात – बात पर है नीचा दिखाते
अपनी ईगो को है आड़े लाते
क्यों सहे वो सबकुछ भला
उसका अपना आत्मसम्मान नही है क्या…….
अब नारी नही रही बेचारी
अपने अधिकारों को लेकर
उसकी जंग है जारी
अब तो थोड़ा जाग जाओ
धरती पर है जो मौजूद
ममता करुणा दया का सागर
उसको मत सुखाओ……………..
नारी अब जाग रही है
अपने सम्मान को मांग रही है
हर दौड़ मे लेके हिस्सा
पुरुषों को पछाड़ रही है
अब मत उसको सताओ
प्यार है प्यार ही रहने दो
जंग मत छिड़वाओ
अब तो समझो साहब
सम्मान करो और सम्मान दिलाओ…………………..
#निखिल_कुमार_अंजान……