“स्त्री के आशु कमजोरी नहीं”
ना दर्द ना तकलीफ़ की अब,
ये संघर्ष की कहानी है।
स्त्री के आशु कमजोरी नहीं,
उसकी सहनशक्ति की निशानी है।
ममता दया प्रेम सब समाहित,
पर अपनी पर आए तो सब के लिए परेशानी है।
स्त्री के आशु कमजोरी नहीं,
उसकी सहनशक्ति की निशानी है।
कुछ गुनहगारों ने उसके मन को छलनी किया,
नासमझ भूले बैठे हैं उनके घर भी बिटिया बड़ी सयानी है।
स्त्री के आशु कमजोरी नहीं,
उसकी सहनशक्ति की निशानी है।
उसकी खामोशी का फायदा उठाने वालो,
गर बोल पड़ी तो महाशक्ति दुर्गा रानी है।
स्त्री के आशु कमजोरी नहीं,
उसकी सहनशक्ति की निशानी है।