# स्त्रियां …
# स्त्रियां …
एक स्त्री ,
दूसरी स्त्री से ,
करती है बातें घंटों
घर में बने सब्जियों की
कुछ इस तरह ,
आज क्या बनाई है
या फिर ,
आज क्या बनाएंगी …?
एक स्त्री ,
दूसरी स्त्री से
नहीं करती कभी प्रेम
करती है ईर्ष्या तब
जब सामने वाली पहनी हो
कसीदेदार साड़ियां और
चमकदार गहने …!
एक स्त्री ,
दूसरी स्त्री के साथ ,
जब ठेले,खोमचों में
खाती हैं गुपचुपें
लगती है खूबसुरतें
खाते-खाते जाने ,
करती हैं क्या बातें …?
पता नहीं …!
एक स्त्री
दूसरी स्त्री के साथ
जब जाती है मंदिरें
फूल-पान धर के
सब कुछ देख के भी
कुछ चेहरों का
सोचना होता है ,
अरे… कहां जा रही है …!
एक स्त्री ,
दूसरी स्त्री के संग
जब गुजरती है
गलियों,मोहल्लों से
बलखाते हुए ,
कमर लचकाते हुए
आफत आ जाती है तब
मवाली टाइप छोरों पर …!
एक स्त्री ,
दूसरी स्त्री को
नहीं रखना चाहती
अपने पास ,
असंभव,कदापि नहीं
सौत बनाकर …!
चिन्ता नेताम ” मन ”
डोंगरगांव (छ.ग.)