स्त्रियां और बुद्ध
स्त्रियां कहां बुद्ध हो पाती हैं
वह तो केवल घर से निष्कासित की जाती हैं
फिर इंतजार करती है वह अहिल्या सा,
सदियों सदियों तक, ज्ञान के लिए नहीं
बल्कि चरित्र के दाग पावन हो सके,
किसी एक ने लगाए और दूजा इसे धुल सके।
छल से भी कलंकित हुई पत्थर बना दी जाती हैं ।
और आज, डायन घोषित कर आग लगा दी जाती हैं ।।
मर्यादा में रहें यही उनकी बौद्धिकता है। वरना लांछन लगाने में कहां जमाना थकता है।।