स्टे एट होम’
‘कोरोना’ ने लगा दी
हर चीज पर रोक।
लागू हुआ ‘लोकडाउन’
लगा सब पर लोक।
आए न कभी
‘क्वार्नटाइन’ की नौबत।
आगे भी चलती रहे
हमारी ये मोहब्बत।
इसलिए तुमसे मिलना
संभव न होगा।
शायद इस बात पर
तुम्हें भी गिला न होगा।
निकलता सिर्फ
राशन या दवा के लिए।
समझकर मेरी मजबूरी
माफ करना प्रिय।
अभी ओर चलना
है संग तुम्हारे।
बचाना है जीवन
न हम जीवन से हारे।
जीवन रहेगा तो फिर वादियों में
मोहब्बतों के गीत गुनगुनायेन्गे।
यही सब जो सपने हैं मेरै
विश्वास है पूरे हो जाएंगे।
इसलिए अपना रहा ‘स्टे एट होम’
का नियम बस एक ही चीज।
मेरी तरह तुम भी बस इसे
अपनाओ ना प्लीज।
–अशोक छाबडा.