स्कूल की यादें
स्कूल की यादें
वो भारी बस्तों के बोझ तले
झुके हुए कंधे।
घर के काम का बोझ
फीस न देने का बोझ
नयी किताबें लाने का बोझ
नयी वर्दी सिलवाने का बोझ
मास्टर से पिटाई का बोझ
इतने बोझ
फिर भी दोस्तों संग मौज मस्ती
किसी की साइकल की हवा निकालना
किसी की कापी ,किताब पैंसिल छिपाना
किसी का रोटी का डिब्बा चुराना।
पिटाई से पहले हर चीज का जगह पर पहुंच जाना।
लड़ झगड़ कर झट से एक हो जाना।
कहीं मिल जाए वो यार पुराने
सुनाए सब बीते दिनों के फसाने
सुरिंदर कौर