स्काई लैब
जब बहुत छोटे से थोड़ा बड़ा था तब sky lab का मलबा धरती पर गिरने वाला था। ज़ाहिर सी बात है कि गिरता पृथ्वी के किसी छोटे से हिस्से पर ही किंतु उस समय भी ऐसा माहौल बना दिया गया था मानों हर घर के छत पर ही गिरने वाला है।
दिन में तो कई बार आकाश की तरफ देखते ही थे रात को छत पर सोते समय जब तक नींद न आए जाए sky lab के मलबे को ढूंढते रहते थे। जहां तक मुझे याद है कि वह मलबा किसी समुद्र में गिरा था।
वह दिन है और आज का दिन है लोग कितनी भी डरावनी घोषणाएं करें कि दुनियां कल खत्म होने वाली है , दुनियां अभी खत्म होने वाली है मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। जब खत्म होना हो तब हो , उस पर अपना कोई वश नहीं है , अपना जीवन जो थोड़ा बहुत अपने वश में है उसे जी भरकर जीयो , जो सबका होगा वह अपना भी होगा।
Kumar kalhans