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30 May 2024 · 1 min read

“” *सौगात* “”

“” सौगात “”
***********

( 1 )” सौ “, सौभाग्य हमारा
कि, मिली है जीवन की सौगात,
करते चलें यहाँ इसका सदुपयोग !
और कभी ना करें व्यर्थ अमूल्य जीवन.,
सदा करते रहें श्रीप्रभु स्मरण सभी लोग !!

( 2 )” गा “, गार्हस्थ्य जीवन
निभाए चलें पुनीत यज्ञ की तरह,
सदा पूर्ण करें अपने सभी धर्म कर्तव्य !
और चलें प्रभु को कृतज्ञता ज्ञापित करते,
कि दी उसने जीवन सौगात दिव्य भव्य!!

( 3 )” “, तबस्सुम बिखेरें
और चलें बाँटते अनुपम सौगातें,
भेंट दें स्वयं की बनायी कोई वस्तु सुंदर !
खिल उठेंगी प्रिय स्वजनों की मुस्कुराहटें.,
और फिर बनते चलेंगे संबंध ख़ूब मधुर!!

( 4 )” सौगात “, सौगात उपहार
नज़राना भेंट देते चलें सदैव,
बनाए चलें जीवन को ख़ुश व प्रसन्न !
दुर्लभ मानुष जीवन पाया प्रारब्ध कर्मों से.,
नित्य श्रीप्रभु चरणों में बैठ करें सुमिरन !!

¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥¥

सुनीलानंद
गुरुवार,
30 मई 2024
जयपुर
राजस्थान |

Language: Hindi
98 Views
Books from सुनीलानंद महंत
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