सोला साल की उमर भी
सोला साल की उमर भी
कहती हैं तू नादान है
बदलाव होते हैं हम में थोड़े
दिमाग का बूरा हाल है
आंखों की नज़ाकत को
इश्क समझ लेते हैं
डोपामीन केमिकल से
खुद का आपा खो जाते हैं
बीत जाते हैं दिन
ये इश्क बवंडर मचाने लगता है
दिल टूटता है कितनों का
कितने दुनिया छोड़कर जातें हैं
बाली उमर कि सोच सबसे
गलती ये करवातीं है
साइकोलॉजी की जांच से
हार्मोन्स की वजह होती है
सही ग़लत की परख नहीं
दोस्तों का सहारा लेते हैं
बहक जाने के बाद कभी
जूर्म को अंजाम देते हैं
मां- बाप की सीख को
बन्दगी समझ लेते हैं
ऊंची उड़ान की जोश में
होश खो जाते हैं।