सोते वक्त ह्रदय को पुचकारती कुछ पंक्तियाँ….
नींद की उबासी में
सालों महीने गुजर गये
ऐ रात! तेरे पहरे में
न जाने कितने पहर गये…
स्वप्नों की डलिया को
कहाँ ले जाते हो बंधु
ऐ रात! तेरे लिए ही
स्वप्न जिन्दा ही मर गये…
हालात संभाले नहीं
सम्भलते अब तेरे फेरों में
ऐ रात! घनेरी छटाओं में
कोई अपने कह गये…
काली छाई लालिमा का
दीदार हम नहीं करेंगे
ऐ रात! सिर्फ तेरे लिये
लालिमा को हम सह गये…
संतोष जोशी
उत्तराखंड