सोच
सोच
सोच आती है तो कभी जाती है,
कभी अच्छी तो कभी बुरी ,
कभी वैज्ञानिक , तो कभी दार्शनिक
कभी संकीर्ण, तो कभी विराट ….।
सोच कभी लेकर आती है,
समुंदर की लहरों सा ज्वार,
तो कभी बुझ चुकी आग सी ठंडक
कभी आकाश सी अनंत ऊंचाई
तो कभी पाताल सी अथाह गहराई…।
सोच कभी बदल देती है ,
इंसान का भूत ,वर्तमान या भविष्य
सोच आती है शून्य के समान
कभी ना खत्म होने वाली अबूझ पहेली
सोच जिसका न आदि है न अंत है
सोच आती है तो कभी जाती है
कभी अच्छी तो कभी बुरी।
स्वरचित कविता
सुरेखा राठी