सोच समझ विचार
**सोच,समझ,विचार**
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सोच समझ करो विचार
संपन्न होंगे सारे ही कार
जिसकी जैसी होती सोच
मिले उनको वैसी खंरोच
जैसी सोच मे होते सवार
वैसी उन को मिलती मार
जो है सोचे,समझे,विचारे
प्रभु है उनके काम संवारे
बिन बात जो करता देरी
पीछ रहे,आ जाए अंधेरी
औरों का जो माड़ा सोचे
कुदरत ही उसको है नोचे
सादा जीवन उच्च विचार
जीवन में होता है सुधार
अच्छी सोच जीवन पूंजी
सफलता की यही कूंजी
मनसीरत सदा समझाए
सोच,समझ,उच्च बनाएं
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली.(कैथल)