**** सोच माँ कितना रोई है ?
बेटी की चीखों को इंकलाब बनाना है
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आगरा बेटी काण्ड पर कवि का आक्रोश
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निरवंशों का राज देश पर, दर्द क्या जानें बच्चों का!
दहशत में है बेटा . बेटी, शासन गुंडे लूच्चो का !!
कौन करेगा रक्षा इनकी बोलो ए.भाषण वालो!
यही है अच्छे दिन जनता के, एक बार फिर तुम बोलो!!
बेटी बचाओ की बातें सारी, झूठी बेबुनयादी है!
खून से लथपथ लगती है,जो पहनी तुमनें खादी है!!
पूछो जाकर घर वालों से, जिन्होने बेटी खोई है!
कितनी चीखी होगी बेटी, सोच माँ कितना रोई है!!
पूछो उस बाप से जाकर, जिसने सपनों को पाला था!
एक बार आँखों में झांकों , खून में कितना उबाला था!!
तुम क्या जानों , बच्चे ,बच्ची तुम तो भाषण वाले हो!
झूठे हो तुम ना इंसाफी,दहशत पालनें वाले हो!!
बेटी बचाओ का नारा, बेटी जलाओ पर अटका है!
अबकी बार इस झूठ का तुमको , लगनें वाला झटका है!!
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प्रदेश अध्यक्ष
कलमकार संघ (M.S.P.)
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मंडल प्रभारी … मेरठ
आगमन साहित्य संस्था
बैखोफ शायर/गीतकार/लेखक
डाँ. नरेश कुमार “सागर”
9897907490
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हिम्मत है तो इतना शेयर करो जो सरकार जालिमों को सलाखों तक नही फाँसी तक ले जाये!