*!* सोच नहीं कमजोर है तू *!*
सोच नहीं कमजोर है तू, तेरी सोच से लक्ष्य तेरा तय हो
जो सोच लिया करके दिखला, बिन किए यहाँ नहीं जय हो
सोच नहीं………..
(1) गुजर गया है वक्त बहुत, बिन रुके और भी गुजरेगा
यहाँ इंतजार तेरा किसको, तू बता कि कब तू सुधरेगा
इतिहास में कितने दफन हुए, तू भी ना बचेगा ये भय हो सोच नहीं…………
(2) भीड़ भरी इस दुनियाँ में, कुछ नया सत्य लाकर दिखला
दुनियाँ जयकार करे तेरी, जो तू अखंड कुछ ले निकला
उच्च शिखर तुझे नमन करें, सागर पग धो-धो सुखमय हो
सोच नहीं…………
(3) सुना है सच्चाई से जग में, मानव ही घबराता है
जो सच्चाई धारण करता, वो नव इतिहास बनाता है
संसार कहे उसकी गाथा, निज जीवन उसका निर्भय हो
सोच नहीं………..
लेखक :- खैमसिंह सैनी
{ M.A, M.Ed, B.Ed }