सोच अपनी-अपनी
कोई सोचे….
मेरा जीवन बेहत्तरीन ऐसा है,
कोई सोचे….
मेरी जेब में बहुत पैसा है,
कोई सोचे….
मेरा आवास महल के जैसा है,
कोई सोचे…
देखो मेरा कारोबार कैसा है।
कोई सोचे….
मेरा वाहन सबसे शानदार है,
कोई सोचे…
मेरे पास संपति बड़ी अपार है,
कोई सोचे…
सबसे खुशहाल मेरा परिवार है,
कोई सोचे…
मेरे जीवन में केवल जीत ही जीत ना कोई हार है,
कोई सोचे….
मेरे जीवन तो अनोखे प्रेम का सार है।
लेकिन मेरी सोच तो कुछ और ही कहती है,
कि हर सुख के पीछे की वजह कुछ ना कुछ तो रहती है।
अजय वो, जो करता सबका मान है,
अमीर वो जरूरतमंद गाता जिसका गान है।
संपति उसकी जिसने बुरे समय में मेहनत को मान लिया,
प्रसिद्धि उसकी जिसने अच्छे समय में मदद का दान दिया।
कोई फर्क नहीं पड़ता कि जेब में कितना पैसा है?
सुखी वो जिसके पास दोस्त संकट मोचन के जैसा है।