#सोचो पेड़ अगर न होते #
कहते हैं कि प्रकृति जब जिद पर आती है,
तब त्राहि त्राहि मच जाती है।
चाहें जितनी हो धन दौलत,
सब यहीं धारी रह जाती हैं ।।
क्यों छीन रहे इसका गहना,
क्यों आंचल गंदा करते हो।
जिसकी गोदी में हो खेले,
क्यों उसको बंजर करते हो।।
इसलिए _
अपनी संस्कृति को पहचानो
अपनी प्रकृति को सवारों।
बैठो हो जिस डाल पे अभी,
उस डाल को प्यारे मत काटो ।।
सोचो पेड़ अगर न होते,
कैसी होती धरा हमारी।
आक्सीजन गर हमे न मिलती,
क्या हम सब जीवित रह पाते।।
कैसे हम सांस ले पाते।।
सोचो पेड़ अगर न होते ।
खेत और खलिहान न होते,
नदी, तालाब न पोखर होते।
मानसून को कौन बुलाता ,
पानी बिन सूखा पड़ जाता ।
धरती माता बंजर होती।।
सोचो पेड़ अगर न होते ।
आओ मिलकर पेड़ लगाएं
पर्यावरण को स्वच्छ बनाए
धरती पर हरियाली लाएं,
जीवन को खुशहाल बनाए ।
आओ मिलकर पेड़ लगाएं
रूबी चेतन शुक्ला
अलीगंज
लखनऊ