सोचें सदा सकारात्मक
सोचें सदा सकारात्मक ही, नाम राम का लेकर।
भवसागर से पार लगाते, वही नाव को खेकर।।
राम नाम में शक्ति समायी, हर लेती दुख सारे।
नाम हमारे पाप नष्ट कर, हमको नित्य निखारे।।
सच्चिन्तक नर कभी शिकायत, नहीं किसी से करता।
अपनेपन का भाव सभी के, प्रति अन्तस में भरता।।
चिन्तन अपना सच्चिन्तन हो, प्रभु से यही मनायें।
सच्चिन्तन का सुफल सर्वदा, परमपिता से पायें।।
ईश सभी को देते सब कुछ, वे हमको भी देंगे।
छूट मांगना जाए जिससे, वही मांग हम लेंगे।।
आत्म-शक्तियों के द्रुत कम्पन, होते अति बलशाली।
द्योतित करते हैं अन्तस को, फैलाते उजियाली।।
प्रबल विचार काम चुम्बक का, शत-प्रतिशत करते हैं।
अष्ट सिद्धियों, नौ निधियों को, लाकर घर भरते हैं।।
चिन्तन सदा सकारात्मक हो, यह अत्यन्त जरूरी।
तब ही, केवल तब ही होती, हर अभिलाषा पूरी।।
महेश चन्द्र त्रिपाठी