सोचा होगा
जरुर किसी ने सोचा होगा,
इस मिट्टी में कुछ बोना ।
उसका ही परिणाम था,
जो उग रहा, मिट्टी में सोना।
जरुर किसी ने सोचा होगा
एक दुसरे से दूर होना
उसका ही परिणाम होगा
पांव पसारता वो कोरोना।
अजब विचार है मन में लाया
बड़ा गजब बना सोचना।
सोचा नही था केवल इतना
दिनभर पड़ेगा, सोना ही सोना।
पदैल चलकर, मिलने अपनो से।
खोकर जीवन, मौत को अपनाना।
क्या – क्या सोचा, आस होने की
वह नही सोचा, जो पड़ा देखना।
जरुर समझ , अब कुछ है आया
जीवन,जगत मे अनमोल खज़ाना।
जरुर किसी ने सोचा होगा
इस मिट्टी मे कुछ बोना।
चाबी उसने भरी उतनी ही।
जितना चल रहा है , यह खिलौना।।
#संजय कुमार”सन्जू”