सोचा न था ऐसे जुदा हो जायेंगे
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हम जब मिले,सोचा न था ऐसे जुदा हो जायेंगे।
प्रेम कायम ही रहेगा बस हम जुदा हो जायेंगे।
तुम मुझे देखा करोगी जीवित लाश की मानिंद।
व सुनोगी मेरे ओठ पर खुद को गीत की मानिंद।
मैं तुम्हारे मन के हर सौंदर्य का साक्षी हूँ प्रिये।
मैं तुम्हारे तन की लिप्सा में न डूबा था प्रिये।
मैं प्रतीची के क्षितिज तक आश तेरी ही करूँ।
तुम गगन प्राची पे टिकना मैं तुम्हें देखा करूँ।
ज्योति के प्रारंभ सी तुम हो मेरे मन में बसी।
क्या गुनाह है कि सुनना है हमें तम की हँसी।
कर्म क्यों कर्तव्य पथ का हो सफर भारी गया।
क्यों नहीं अधिकार तेरे ‘सत्य’ का भारी हुआ।
हमने सोचा था न कि हम यों विलग हो जाएंगे।
आ चलो मिलने के हित संघर्ष कर मर जायेंगे।
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