सोचती हूँ …
चाँद के साथ जगना है तो अलग बात है
वरना नींद तो ख़्वाब से भी उड़ जाती है…..
समुन्दर की लहरों से टकराना हो तो अलग बात है
वरना गहराई तो आँखों की भी डूबा देती है ….
सुर ताल से सरगम सुननी हो तो अलग बात है
वरना घंटियाँ तो दिलों की भी बज जाती है …
काँटों की चुभन ही सहनी हो तो अलग बात है
वरना अपनों की बातें भी वो काम कर जाती है …
गुलाब की ख़ुशबू ही भाती हो तो अलग बात है
वरना महक तो रिश्तों की भी आ जाती है
किताबों से ही सीखना हो तो अलग बात है
वरना सीख तो ज़िंदगी भी दे जाती है ……