सोए है जो कब्रों में।
चलों मिलते है आज पूराने लोगों से।
जो अपने ही है जाके सोए है कब्रों में।।1।।
सुकूँन ओ आराम में सब के सब है।
दुनियां की नजरो में है जो बेकद्रों से।।2।।
महफूज ना है आबरू अब कहीं ही।
इज्जत को डर है घरके ही दरिंदों से।।3।।
दीवाने है परेशां ना करो सवालों से ।।
हर बार ही जवाब दिया है नजरों से।।4।।
मोहबबत है हमको तुम्ही से सनम।
हमनें तो हमेशा कहा है इन लबों से।।5।।
पढ़ लेना जाकर किताबों खतों को।
मेरी चाहत के निशां होगे किताबो में।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ