*** सैनिक की वीरता ***
सेना की वीरता
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रिश्तो की मीठी डोरी को, तोड़ भेज दिया सीमा पर
उसने भी पूरी ताकत से, मारा दुश्मन को सीमा पर
गर्व हमें है भारत के ,ऐसे वीर सपूतों पर
भूख- प्यास और ठंड- गर्मी से, लड़ते हैं जो सीमा पर
उसने भी पूरी ताकत से …..
मां ने अपने जिगर का टुकड़ा, मां भारत को दे डाला
बीवी ने सिंदूर मांग का, देश हवाले कर डाला
बहन की राखी यह कहती है, पीछे हटना ना सीमा पर
उसने भी पूरी ताकत से ….
बाप यही लिखता है खत में, सुन बेटा मेरे सुन ले
लाज नहीं गिरवा देना तू, मां भारत की सीमा पर
उसने भी पूरी ताकत से ……
गांव की सूनी चौपाले और ,रंभाती वो भूरी गैया (गाय) भी
देख रही है बाट तुम्हारी, सुनने किससे सीमा पर
उसने भी पूरी ताकत से ……
तुम हो तो यह देश सुरक्षित, तुम से ही दुश्मन हारा है
जान झोंक देना पल में पर, ना पीठ दिखाना सीमा पर
उसने भी पूरी ताकत से ……
दूध की लाज लजाना ना तू, परवाह ना जान की करना तू
“सागर” तुझसे यही है कहता आंन- मान सब सीमा पर।।
उसने भी पूरी ताकत से …
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मूल गीतकार …..
डॉ नरेश कुमार सागर