सैंया पड़े पड़े मुटियावै
सैंया पड़े पड़े मुटियावै
करत नहीं कछु कामकाज
पड़े पड़े सब खावै
नई नई चीजों पर सैंया
बहुतई ललचा जावै
सैंया पड़े पड़े मुटियावै
पढ़ो रहै दिन रैन
तबहुं चैन ना पावै
खूब करै है हंसी ठिठोली
मोहे बहुत सतावै
सैंया पड़े पड़े मुटियावै
बार-बार चाय मांगत है
पान भी बहुत चवावै
खूब पियत है बीड़ी तंबाकू
पढ़ो पढ़ो गर्रावै
सैंया पड़े पड़े मुटियावै
सैंया मोहे बहुत सतावै
घर में बुझो बुझो सौ रेवै
बाहर घोड़ों हो जावै
पुरा परौसन संग
सैंया रस ले ले बतियावै
सैंया मोहे बहुत सतावै
सुरेश कुमार चतुर्वेदी