सेवा माता पिता की
है सबसे बड़ा तीर्थ
सेवा माता पिता की
जन्मदाता है माँ
भाग्य-विधाता है पिता
करें जितनी भी
सेवा उनकी
बाकी सब है
तिनका समान
ऐसे बच्चे है कलंक
जो छोड़ देते है उन्हें
भटकने वृध्दावस्था में
माता पिता होते बेहाल
करते बच्चे
करम धर्म
जाते तीर्थंकर अनेक
परवाह नहीं
माता पिता की
मिलता नहीं
आशीर्वाद ईश का
रखों प्यार से
करो दो बात प्यार से
कर लो सेवा उनकी
है यही सबसे बड़ा तीर्थ
दोस्त मिलें,
रिश्तेदार मिलें
पर मिलते नहीं
माता पिता बार बार
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल