*सेना की अक्सर दिखी, कुटिल हृदय की चाह (कुंडलिया)*
सेना की अक्सर दिखी, कुटिल हृदय की चाह (कुंडलिया)
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सेना की अक्सर दिखी, कुटिल हृदय की चाह
बन जाए वह देश की, निर्मम तानाशाह
निर्मम तानाशाह, स्वाद सत्ता का पाए
पाक-बॉंगलादेश, इसी के रहे सताए
कहते रवि कविराय, काम बस इतना देना
देश-प्रमुख के साथ, हमेशा दीखे सेना
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451