सेना का गौरव…..
?घाटी की विषम परिस्थिति तथा सैनिकों के अपमान का विरोध करती रचना।?
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भारत देश महान हमारा हर कोई यहाँ स्वतन्त्र हुआ।
लूला-लंगड़ा अंधा-बहरा ये सरकारी तन्त्र हुआ।
छला गया सेना का गौरव सरेआम जब घाटी में।
शस्त्र हाथ में फिर भी सैनिक मूक-बधिर परतन्त्र हुआ।
जिन हराम के पिल्लों को सेना ने वहां बचाया है।
आज उन्हीं कश्मीरी कुत्तों ने कोहराम मचाया है।
राजद्रोह भी देशद्रोह भी धारा ही उल्टी मोड़ी।
भारत माँ पर वार किया है बेशर्मी की हद तोड़ी।
कैसे सहन करेगा भारत इन काली करतूतों को।
सबक सिखाना हुआ जरूरी पाक परस्ती जूतों को।
सेना है अभिमान हमारा ये सेना पर वार करें।
गो इंडिया के लगा के नारे सैनिक पर प्रहार करें।
भारत में कश्मीर मगर लगता है देश विराना क्यों?
इन दल्लों को भारत से मिलता है खाना-दाना क्यों?
घाव हुआ नासूर करो कुछ वरना फिर पछताओगे!!
धीरज टूट गया सेना का कैसे देश बचाओगे?
आस्तीन के साँपों को मर्यादा में लाना ही होगा!!
हिन्द भूमि का वंदन करना इन्हें सिखाना ही होगा!!
इन्हें पकड़कर स्वतन्त्रता की परिभाषा बतलाओ अब!
सेना का सम्मान पुष्ट हो ऐसी रीत चलाओ अब !
कहते हो कश्मीर हमारा पर अधिकार नहीं देते!!
देशद्रोही की छाती बींधे वो हथियार नहीं देते!!
सत्ताधारी करें कभी तो अनुभव उनके दर्दों का।
तुष्टिकरण की नीति त्यागें मोह छोड़ें हमदर्दों का।
एक बार घाटी सेना के हाथ सौंपकर के देखो!!
कितने कुत्ते बेनक़ाब हों गिनती तो करके देखो!!
तेज स्वरों में जय हिन्द गूंजे फिजां तिरंगी कर दें।
पागल कुत्तों की छाती में जी भर लोहा भर दें।
इतने छेद करेंगे कि अनुमान नहीं होगा!!!
घाटी में पैदा फिर कोई शैतान नहीं होगा!!
देशद्रोहियों का घाटी में नाम निशान नहीं होगा!!
कश्मीर तो होगा लेकिन पाकिस्तान नहीं होगा!!
??तेज ~15/4/17~ ✍??