सृजन
चलो बनाये नव संसार, समय सृजन का आया है !
आओ करे राष्ट्र निर्माण, समय सृजन का आया है !!
छाया है चंहुओर अंधेरा, तारो बिन सुना गगन है
जहरीली अब हुई हवाएँ, ठण्ड मे लगती अगन है
झूठ है धोखा भी है, इंसानियत गुम है कही
हर बन्दा हे स्वार्थी, लोभ मे रहता मगन हे
घुटन सी होती है हरदम, इसलिये ये अलख जगाया है
चलो बनाये नव संसार समय सृजन का आया है
दया नही है हर ह्रदय, उजड़े चमन जेसा हुआ है
स्नेह से अपनत्व से, संवेदना से अनछुआ है
धन वैभव आराम बड़ा है, आधुनिक हम हो गये
तरक्की तो बहुत हुई, पर रिश्ते नाते खो गये
स्वर्ग से सुंदर थी धरती, अब इसको नर्क बनाया है
चलो बनाये नव…………
छोड़ के सारे दुर्व्यसनो को, सभी सदाचारी बने
आगे गर बड़ना हे तो, पहले अपना लक्ष्य चुने
संस्कार ओर संस्कृति ओर अनुशासन न भूले हम
कर्तव्य पथ पर बड़ते हुए, आसमां को छूले हम
स्वर्ग बनाना है धरती को, इसलिये ही ये जीवन पाया है
चलो बनाये नव………..