सृजन के जन्मदिन पर
आज सृजन का जन्म दिन,
‘विश’ करे सकल मुहल्ला।
इतना नहीं हुआ जन्म पर,
जितना अब हो-हल्ला।
बचपन में सालगिरह पर,
करते केवल पूजा।
बाबू लड्डू बांटते,
और न उत्सव दूजा।
अब तो बड़ा जंजाल है,
जन्म दिवस पर भाई।
देवा पित्तर बिसरकर,
चारों तरफ बधाई।
चाहे कमाई शून्य हो,
फिर भी पार्टी होय ।
ऐसा उत्सव व्यर्थ है,
समझ न आवत कोय।
तड़क भड़क बेकार है
सांची कहे सृजन।
सारे झंझट छोड़ कर,
करिए राम भजन।
राम के आशीर्वाद से,
बनेगे सारे काम।
साँचा उत्सव है यही,
बन कौड़ी बिन दाम।
जन्म पर दाता पूजिये,
जीवन हो निर्भय।
उत्सव करो पर बोलकर,
सियापति राम चन्द्र की जय।