सूर्य ये कौन है जो बाल सुखाने आयी
वज्न-2122 1122 1122 22
काफ़िया-ठिकाने(आने की बंदिश)
रदीफ़-आयी
मौत की नींद मुझे आज सुलाने आयी
देखिए बेवफा भी प्यार जताने आयी//१
आज फिर मुझसे मुहब्बत वो निभाने आयी
अपने हाथो मेरी मैयत को सजाने आयी//२
मुफ्त मिलती थी हवा आज मयस्सर है क्या,
देखिए मौत भी लेकर के बहाने आयी//३
दिल मेरा तोड़ दिया छोड़ दिया फिर क्यों अब,
घाव पर नून भरा हाथ फिराने आयी//४
प्यार का खूब सिला यार मिला है मुझको
जिंदगी थी जो मुझे गैर बताने आयी//५
जिंदगी हार गयी मार गयी क्यों ऐसे
हाय किस्तम तू मुझे ले मयखाने आयी//६
ये परिंदे मरते है छत पे जो आकर
‘सूर्य’ ये कौन है जो बाल सुखाने आयी//७
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
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