सूर्य-पुत्र-परास्त मगर पराक्रमी।
अर्जुन से करने युद्ध को,
जो हर पल रहता अधीर था,
इतिहास साक्षी है गाथा का जिसकी,
पराक्रम उसका बेनज़ीर था,
भले ही हारा पर अर्जुन समान,
उसका हर एक तीर था,
दिया पांडवों को जीवनदान,
वो वचन की पहने ज़ंजीर था,
था ना जिसके कुल का पता,
ना थी मालूम जिसकी जाती,
कृष्ण भी महापुरुष कहते थे जिसे,
थी अर्जुन जैसी ही उसकी ख्याति,
इन्द्र ने भी मांगी भिक्षा जिससे,
ऐसा महान वो दानवीर था,
सूत-पुत्र कहलाता जो सूर्य-पुत्र,
वो कर्ण एक महावीर था।
कवि-अंबर श्रीवास्तव।