???सूर्य अधार सब सृष्टि दिखे ???
तप अधार जग सृष्टि सजे,जिव्हा के अधार निकसति है वानी।
भोजन पचत अम्ल अधार, प्राणवायु के अधार जीवत हैं प्रानी।
अति प्रेम अधार मिले ईश्वर, भजन अधार उर ज्ञान है आनी।
दान अधार बढे विद्याधन, ज्ञान अधार उपदेश कहें हैं ज्ञानी।
वचन अधार बढ़त है यश, भगति अधार है सब सुख खानी।
योगबल का अधार है मूलाधार,छवि अधार पर सुन्दर जानी।
भोजन अधार बने हैं शरीर, औषधि अधार सब रोग नसानी।
भगत अधार चले भगवन्त, कामना के अधार माया लपटानी।
सूर्य अधार सब सृष्टि दिखे, प्रिय वस्तु अधार हृदय हर्षानी।
जप अधार सधे जपजोग, परईर्ष्या अधार पर उपजत है गिलानी।
‘अभिषेक’ चले हनुमंत अधार, हनुमंत के अधार राम हैं जानी।
कलिकाल अधार है आधार, धन अधार चले हैं धनवानी।
##अभिषेक पाराशर (9411931822)##