सूरज का धमाल
सूरज का धमाल
सूरज काका बहक रहे,
आज भरे बाजार में
किरणों ने किया तमाशा,
आज भरे बाजार में
किसी ने पहने चश्मे आंख पर
किसी ने छाते खुलवाये
गोल गप्पे और बर्फ बताशे
छोड़ छोड़ कर घर आये
शाम तलक तो धूम मचाई
आज भरे बाजार में
सूरज काका बहक रहे
आज भरे बाजार में
दादी बोली मत निकलो घर से
दादा बोले पिओ पानी भर भर
अम्मा ले आई आम का पन्ना
दिया सभी को गिलासों में भर
चांद आया तो शीतलता आई
रात भरे बाजार में
सूरज काका बहक रहे ,
आज भरे बाजार में ।