सूरज का ताप
हुआ ताप रवि का कठिन, है गर्मी का जोर।
हर कोई जल बिन बिकल, मचा चहुतरफ़ शोर।
मचा चहुतरफ़ शोर, घोर तपती है धरती।
कैद घरों में लोग, ताप से दुनिया डरती।
कह अचूक कविराय, कभी ना
ऐसा हुआ।
पानी रख लो साथ, ताप दीखेगा मुआ।।
हुआ ताप रवि का कठिन, है गर्मी का जोर।
हर कोई जल बिन बिकल, मचा चहुतरफ़ शोर।
मचा चहुतरफ़ शोर, घोर तपती है धरती।
कैद घरों में लोग, ताप से दुनिया डरती।
कह अचूक कविराय, कभी ना
ऐसा हुआ।
पानी रख लो साथ, ताप दीखेगा मुआ।।