सूरज और दीया
डूबते सूरज ने कहा
मैं भी आराम चाहता हूँ
मेरे अभाव में
कौन ?
प्रश्न जटिल था
हर कोई
मौन !!!
कुछ देर सन्नाटे में
रहा पूरा संसार
फिर कांपती सी
आवाज़ आई
मैं कोशिश करूँगा
मैं हूँ तैयार।
सबने देखा
एक नन्हा सा दीया
टिमटिमा रहा था
अँधेरे को चीरता
जगमगा रहा था।
सबल के शब्दों में
अहम् था
निर्बल के शब्दों मे
साहस था।
सहसा —
सैंकड़ों नन्हे दीये
जगमगाने लगे।
अपने साहस से सूरज को
डराने लगे।
अहंकारी अपना सिर
खुजाने लगा,
‘आता हूँ कल’ कहकर
डूब जाने लगा।
**धीरजा शर्मा***