सूरजमुखी
प्रेम के साथ जोड़े जाते हैं अक्सर,
गुलाब के फूल,
सुर्ख़ लाल रंग लिए है एकाधिकार प्यार का,
गुलाब की ही तरह,
तभी अचानक नज़र पड़ती है,
खेतों में खड़े सूरजमुखी के फूलों पर,
इस फूल को प्रेम है सूरज से,
उसकी तपिश को झेलते,
हँसते-मुस्कुराते,
जिस तरफ़ जाता सूरज ,
उसके पीछे पीछे गर्दन घूमता
जैसे कोई अल्हड़ देहाती,
नज़रें चुरा कर देखे गाँव के मेले में आई
नवयौवना को,
और पीछा करे उसका शाम तक,
हर रोज़ यही क्रम दुहराना,
सूरजमुखी का,
क्या प्रेम के लिए उसकी समझ नही दिखाता,
फिर क्यूँ हमेशा सब को प्रेम का पर्याय
गुलाब ही है समझ आता,
जिसमें सूरजमुखी सा समर्पण नही,
काँटों के साथ है जो आता,
क्यूँ लाल है रंग इश्क़ का,
क्या सूरजमुखी का पीला रंग,
कम है प्रेम दर्शाता……?