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24 Jun 2021 · 1 min read

सूरजपाल

श्रद्धैय सूरजपाल चौहान जी को समर्पित
……….. गीत………
एक और इंकलाब चला गया।
कलम का सिपाही चला गया।।
जो डरा नहीं ,कभी झुका नहीं।
एक ऐसा योद्धा चला गया ।।
शब्दों का शिल्पकार था वो।
लेकर आंदोलन चला गया ।।
डरता था जिससे मनुवाद।
ऐसा अनुवाद चला गया।।
मैं दिल में हूं ,धड़कन में हूं ।
वो ऐसा लिख कर चला गया।।
तुम रहना एक, तुम दिखना एक।
ऐसा कहकर वो चला गया ।।
वो बुद्ध मानने वाला था।
अंबेडकरवादी चला गया ।।
यह कमी खलेगी सदियों तक ।
एक सिपाही कलम का चला गया।।
सूरज सा तेज था चेहरे पर।
सूरजपाल चौहान चला गया।।
सागर है दर्द बड़ा दिल में।
एक दिशा निर्देशक चला गया।।
=========
जनकवि/ बेखौफ शायर
डॉ. नरेश कुमार “सागर”
ग्राम- मुरादपुर, सागर कॉलोनी, जिला, हापुड
इंटरनेशनल साहित्य के अवार्ड से सम्मानित

Language: Hindi
Tag: गीत
295 Views
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