*सूने पेड़ हुए पतझड़ से, उपवन खाली-खाली (गीत)*
सूने पेड़ हुए पतझड़ से, उपवन खाली-खाली (गीत)
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सूने पेड़ हुए पतझड़ से, उपवन खाली-खाली
जाने कैसा मौसम आया, पेड़ ठूॅंठ-से दिखते
एक अभागेपन की गाथा, भीतर-बाहर लिखते
रो-रो पड़ता हृदय देखकर, दुखी बहुत है माली
मौसम ने आकर समझाया, परिवर्तन-क्रम जारी
सुख-दुख जीवन के दो पहिए, कुछ हल्के कुछ भारी
कभी निकलता दिन फिर होती, रात भयावह काली
धैर्य धरो यह समय चल रहा, हरदम नहीं रहेगा
जैसे बहती नदी उस तरह, यह भी समय बहेगा
फिर पत्ते आऍंगे नूतन, हर्षाएगी डाली
सूने पेड़ हुए पतझड़ से, उपवन खाली-खाली
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451